पालक एक गुणों से भरपूर सब्जी है। पालक के नियमित सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। इसे सूप बनाकर, उबालकर, सब्जी, भुजिया आदि बनाकर खाया जाता है। कुछ लोग इसे कच्चा भी खाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट और कई पोषक तत्वों से भरपूर है। पालक में विटामिन सी और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
पालक एक गुणों से भरपूर सब्जी है। पालक के नियमित सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। इसे सूप बनाकर, उबालकर, सब्जी, भुजिया आदि बनाकर खाया जाता है। कुछ लोग इसे कच्चा भी खाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट और कई पोषक तत्वों से भरपूर है। पालक में विटामिन सी और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखता है। इसमें ढ़ेर सारे विटामिन, मिनरल्स भी पाए जाते हैं। अमीनो एसिड, पोटैशियम भी उपस्थित रहता है। इसके अलावा पालक में विटामिन ए, के, सी और बी पाया जाता है। साथ ही, अल्केमाइन मिनरल्स भी होते हैं जो शरीर में पीएच बैलेंस को बनाए रखते हैं। पालक का जूस पीने से स्किन प्रॉब्लम्स खत्म होती हैं। चलिए आज जानते हैं पालक के सेवन से होने वाले कुछ खास फायदों के बारे में.
पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, सर्वसुलभ एवं सस्ता है। यह भारत के प्रायः सभी प्रांतों में बहुलता से सहज प्राप्य है। इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊँचा होता है। इसके पत्ते चिकने, मांसल व मोटे होते हैं। यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक पैदा होता है, कहीं-कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है।
इसमें पाए जाने वाले तत्वों में मुख्य रूप से कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, लोहा, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसार, विटामिन 'ए' एवं 'सी' आदि उल्लेखनीय हैं। इन तत्वों में भी लोहा विशेष रूप से पाया जाता है।
- चेहरे के मुहांसे, झुर्रियों को दूर करने के लिए और त्वचा में निखार के लिए पालक के रस में गाजर और टमाटर का रस मिलाकर रोजाना सुबह शाम सेवन करना चाहिए। इससे रक्त शुद्ध होता है और इन समस्याओं से निजात मिलती है।
- थायराइड की समस्या होने पर सौ ग्राम पालक के रस में शहद और थोड़ा-सा जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है।पालक में आयरन और विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में होता है।
- रतौंधी की समस्या होने पर सौ ग्राम गाजर के रस में पचास ग्राम पालक का रस मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से बहुत लाभ होता है।
- सर्दी में आवाज बैठ जाए या गले में दर्द हो तो पालक के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी को छानकर गरारे करने से गले में आराम मिलता है।
- पालक के बीजों को मट्ठे के साथ पीसकर त्वचा पर लेप करने से दाद और खुजली की समस्या भी दूर होती है। लौह तत्व मानव शरीर के लिए उपयोगी, महत्वपूर्ण, अनिवार्य होता है। लोहे के कारण ही शरीर के रक्त में स्थित रक्ताणुओं में रोग निरोधक क्षमता तथा रक्त में रक्तिमा (लालपन) आती है। लोहे की कमी के कारण ही रक्त में रक्ताणुओं की कमी होकर प्रायः पाण्डु रोग उत्पन्न हो जाता है।लौह तत्व की कमी से जो रक्ताल्पता अथवा रक्त में स्थित रक्तकणों की न्यूनता होती है, उसका तात्कालिक प्रभाव मुख पर विशेषतः ओष्ठ, नासिका, कपोल, कर्ण एवं नेत्र पर पड़ता है, जिससे मुख की रक्तिमा एवं कांति विलुप्त हो जाती है। कालान्तर में संपूर्ण शरीर भी इस विकृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।
- लोहे की कमी से शक्ति ह्रास, शरीर निस्तेज होना, उत्साहहीनता, स्फूर्ति का अभाव, आलस्य, दुर्बलता, जठराग्नि की मंदता, अरुचि, यकृत आदि परेशानियाँ होती हैं।पालक की शाक वायुकारक, शीतल, कफ बढ़ाने वाली, मल का भेदन करने वाली, गुरु (भारी) विष्टम्भी (मलावरोध करने वाली) मद, श्वास,पित्त, रक्त विकार एवं ज्वर को दूर करने वाली होती है।आयुर्वेद के अनुसार पालक की भाजी सामान्यतः रुचिकर और शीघ्र पचने वाली होती है। इसके बीज मृदु, विरेचक एवं शीतल होते हैं। ये कठिनाई से आने वाली श्वास, यकृत की सूजन और पाण्डु रोग की निवृत्ति हेतु उपयोग में लाए जाते हैं।
- गर्मी का नजला, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद है। यह पित्त की तेजी को शांत करती है, गर्मी की वजह से होने वाले पीलिया और खाँसी में यह बहुत लाभदायक है।
- रासायनिक विश्लेषण -पालक की शाक में एक तरह का क्षार पाया जाता है, जो शोरे के समान होता है, इसके अतिरिक्त इसमें मांसल पदार्थ 3.5 प्रतिशत, चर्बी व मांस तत्वरहित पदार्थ 5.5 प्रतिशत पाए जाते हैं। पालक में लोहा काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें पाए जाने वाले तत्वों में कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसोर आदि मुख्य हैं।स्त्रियों के लिए लाभकारी स्त्रियों के लिए पालक का शाक अत्यंत उपयोगी है। महिलाएँ यदि अपने मुख का नैसर्गिक सौंदर्य एवं रक्तिमा (लालिमा) बढ़ाना चाहती हैं, तो उन्हें नियमित रूप से पालक के रस का सेवन करना चाहिए।प्रयोग से देखा गया है कि पालक के निरंतर सेवन से रंग में निखार आता है। इसे भाजी (सब्जी) बनाकर खाने की अपेक्षा यदि कच्चा ही खाया जाए, तो अधिक लाभप्रद एवं गुणकारी है। पालक से रक्त शुद्धि एवं शक्ति का संचार होता है।
- अगर आपको खांसी और श्वास फूलने की समस्या है तो पालक के रस में शहद और काली मिर्च पाउडर मिलाकर दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा पिएं।पालक के सौ ग्राम रस में गाजर का सौ ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर में तेजी से खून की वृद्धि होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए ये बेहद फायदेमंद है।
- पालक के पत्तों को अजवायन के साथ पीसकर, पानी में घोलकर पीने से कुछ ही दिनों में पेट के कीड़े दूर होते हैं और मल के साथ निकल जाते हैं। ये समस्या बच्चों में अकेसर देकने को मिलती है।शारीरिक रूप से दुर्बल व्यक्ति को पचीस ग्राम पालक के रस में पचीस ग्राम टमाटर का रस मिलाकर सेवन करने से वजन तेजी से बढ़ता है। ,मूत्र संबंधी समस्याओं में पचास ग्राम पालक के रस में पचास ग्राम कुल्थी का रस मिलाकर, थोड़ा सा नींबू का रस डालकर, सुबह शाम सेवन करना चाहिए। ये उपाय गुर्दे की पथरी के रोगी को बहुत लाभकारी है, इससे पथरी गलने लगती है।
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